नया साल...
नया साल...
आज साल बदल गए,
सबके चाल बदल गए
जिन्हें खटकते रहे हम पूरे साल,
हैरत में हूं आज उन्होंने भी पूछे मेरे हाल
दिसंबर में जो निराश बैठे थे ,
आज उनमें भी आश जगे थे।
सोच रहा हूं आखिर आज नया क्या है?
आज दुनिया में सभी ने पाया क्या है?
ना बदले हैं हालात ना बदलेंगे हालात,
कर कुछ ऐसा !
जिसके बीच न आए दिन, और ना ही रात।
---अभिषेक सिंह
आशा करता हूं कि यह कविता आपको पसंद आएगी।।
🙏🙏धन्यवाद🙏🙏
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